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August 20, 2020

Press Note Hindi Dt: 19.08.2020 Why is PM silent on Naga Accord and CBI ought to perform correct probe in Sushant Singh Rajput case on the earliest

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ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Highlights of Press Briefing                                                                  19 August, 2020

Shri Shaktisinh Gohil, Spokesperson, AICC addressed the media via video conferencing today.

श्री शक्तिसिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं एक बडे संवेदनशील मुद्दे पर बात रखूंगा, जो देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, देश के संविधान के प्रावधान से जुड़ा हुआ है। दूसरा एक काफी दिनों से पूरे देश में चर्चा का विषय है, सुप्रीम कोर्ट का जिसमें आज जजमेंट आया है, सुशांत सिंह राजपूत जी के केस के बारे में है। दोनों विषयों पर मैं आपसे बात करुंगा, उसके बाद आपके जो भी सवाल होंगे, उनका स्वागत रहेगा।

कांग्रेस पार्टी ने दल के हित को कभी देश के हित से ऊपर नहीं रखा। देश का हित सर्वोपरी है, दल का हित कभी भी देश के हित से ऊपर नहीं हो सकता है। हमने जब भी देश के लिए सवाल खड़े हुए, देश के साथ हम खड़े रहे। इस हमारे संविधान की सबसे अहम बात जो है, वो है हम जिसे अखंडता, संप्रभुता कहते हैं, जिसे सोवैर्निटी (Sovereignty) या इंटीग्रिटी(अखंडता) जिसे कहते हैं, उसे अक्षुण्ण रखने के लिए हर वक्त कांग्रेस पार्टी ने चाहे जो भी करना पड़ा था, वो करने की कोशिश की। मैं कांग्रेस के शासन की बात करुं तो हम जब-जब भी शासन में रहे, जिस भी जगह पर कहीं ना कहीं टैरिरिज्म था, जहाँ कहीं हमारे ही लोगों के बीच में यदि कोई असंतोष की ज्वाला भड़की, कहीं पर नक्सलिज्म हुआ, इन सभी को देश के हित में सिर्फ कुचल देने की बात नहीं की, पर हमारे लोग जहाँ पर थे, हमारे भारतीय लोगों के बीच में असंतोष था, उनसे संवाद किया और उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश की। देश में अमन, चैन, एकता और सुख-शांति बने रहे, उसकी कोशिश भी की।

राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री थे, 15 अगस्त 1985 को असम पीस अकोर्ड (Assam Peace Accord) उन्होंने किया। पूरे देश को बताया कि उसमें क्या प्रावधान हैं और क्या पीस अकोर्ड हम करने जा रहे हैं। वहीं राजीव गांधी जी ने 30 जून, 1986 को मिज़ो पीस अकोर्ड साइन किया, हमारे नोर्थ ईस्ट स्टेट्स में शांति बने, उसकी कोशिश की। जहाँ-जहाँ भी ऐसी बातें हुई, पंजाब से लेकर नोर्थ ईस्ट तक, हमने देश में अमन-चैन और शांति बनाने के लिए कोशिश की। नागालैंड अलग से स्टेट बना और नागा समस्याओं को भी एड्रैस करने की कोशिश की। हम आज भी चाहते हैं कि देश में कोई भी हो, कोई देशवासी है और उनके दिल में कहीं असंतोष है, तो वो निकले, पर हमारा जो संविधान का फ्रेमवर्क है, उससे बाहर जाकर या तो वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए या कुछ मैंने कर दिया देखो, वो दिखाने के लिए आप इस देश के संप्रभुता, इस देश की अखंडता को नहीं तोड़ सकते।

मोदी जी आए, उन्होंने 15 अगस्त, 2015 को डिक्लेयर कर दिया कि मैंने पीस अकॉर्ड साइन कर लिया है, नागा समस्या खत्म हो जाएगी, आप एनएससीएन (आईएम) के जनरल सेक्रेटरी के साथ बात हो चुकी है और हमारा ये काम ठीक हो गया है, सब सलामत है। तो पूछा गया कि इसकी डिटेल, तो कहा इसकी डिटेल नहीं बताएंगे। बाद में पता चला कि ये पीस अकॉर्ड नहीं था, ये सिर्फ एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट हुआ और फ्रेमवर्क एग्रीमेंट जब बनता है तो जो भी चुनी हुई सरकार है, जो स्टेक होल्डर हैं, जो आस-पास हैं, उन सबको विश्वास में लेना चाहिए। ना तो उस वक्त पर मणिपुर, असम या अरुणाचल प्रदेश इनकी चुनी हुई सरकार को विश्वास में लिया गया। यहाँ तक कि नागालैंड की चुनी हुई सरकार को भी विश्वास में नहीं लिया गया और गवर्नर साहब कुछ करें और मोदी जी डिक्लेयर करें, ऐसी बातें हुई। बाद में जाकर जब पता चला कि नहीं ये तो सिर्फ फ्रेमवर्क एग्रीमेंट है, कोई पीस अकॉर्ड तो हुआ नहीं है। हमने डिटेल मांगी, राहुल गांधी जी ने सवाल किया, डिटेल नहीं दी गई। ना कैबिनेट को बताया गया, ना पार्लियामेंट को बताया गया, ना आवाम को बताया गया। देश में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है और बात ऐसे ही चलती रही।

आज कुछ जो तथ्य आए हैं, हम सबके लिए बड़े चिंता पैदा करने वाले हैं। मैं वो भी बात आपके सामने रखूंगा कि मोदी जी ने जिसके साथ सब कुछ ठीक हो गया है, ऐसी बात की, वो एनएससीएन (आईएम) के जनरल सेक्रेटरी टी मुइवा ने जो इंटरव्यू दिया और मीडिया को जो कहा, वो मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि ‘हमारा सेपरेट फ्लेग होगा, मतलब देश का तिरंगा वो नहीं मानेंगे, अलग झंडा होगा। हमारा अलग पासपोर्ट होगा और हम कभी भी नागाज, हम भारत प्रशासन के नीचे नहीं थे। अरे मोदी जी, आरएसएस के हेडक्वार्टर में तो तिरंगा बरसों तक नहीं लहराया, क्या इस देश में आप नई परंपरा शुरु कर रहे हैं? आप जवाब दीजिए इस देश को कि तिरंगा के अलावा कोई दूसरा फ्लेग अगर हर जगह पर शुरु हो जाएगा तो देश को एक और अखंड रखने की बात कहाँ चली जाएगी। ये एक बहुत ही चिंता का विषय है। कुछ चीजें, तथ्य बाहर आए हैं और उन्हीं तथ्यों के आधार पर मैं जो आपसे बात कर रहा हूं और वो जो तथ्य मोदी जी ने तो अभी तक बताए नहीं थे और आज जो खुलकर बाहर आए हैं, जिनके आधार पर मैं ये बातें कर रहा हूं, वो हमारी जो प्रेस रिलीज होगी, उसके साथ एनेक्चर में भेज रहे हैं। इसलिए मैं उस पर पूरा डिटेल आपके सामने नहीं पढ रहा हूं।

मैं देश के प्रधानमंत्री जी से, देश के गृहमंत्री जी से चंद सवाल करना चाहता हूं।

मेरा पहला सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री जी फ्रेमवर्क एग्रीमेंट के तहत शेयर्ड सोवैर्निटी (Sovereignty) की बात की थी, जैसे कि एग्रीमेंट की कॉपी में हम देख सकते हैं? क्या भारत की संप्रुभता से समझौता करना देशद्रोह नहीं है?

दूसरा, क्या प्रधानमंत्री जी नागालैंड के लिए अलग झंडा और अलग संविधान की बात समझौते के तहत मानी है आपने, जैसा कि तथ्यों से प्रतीत होता है, क्या ये देशद्रोह नहीं है?

तीसरा, प्रधानमंत्री जी नागालैंड, ग्रेटर नागालैंड के लिए असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और कुछ हिस्से म्यांमार के नेतृत्व में सहमति बनाई है आपने, क्योंकि ये तो सारी चीजें बाहर आने लगी हैं? फिर ये समझौता मनमाने ढंग से एक-तरफा आपने ही कर लिया है। इस देश में हमारा संविधान है, क्या कल को मेरे गुजरात राज्य का हिस्सा कहीं किसी और को आप वहाँ बैठे-बैठे सिर्फ अपने मनमाने से दे देंगे, तो क्या गुजरात सहन करेगा? उसी तरह किसी भी स्टेक होल्डर राज्य का हिस्सा, इधर से उधर करना संविधान के ये खिलाफ, मैं मानता हूं गद्दारी है?

तो मुझे इसका प्रधानमंत्री जी से जवाब चाहिए और मैं आखिरी में सिर्फ यही पूछना चाहता हूं कि मोदी जी, गृहमंत्री जी ये कोई आपका खुफिया सौदा नहीं हो सकता है। ये देश के लिए, संविधान के तहत होना चाहिए और आप चुप क्यों हैं, जवाब दीजिए इस देश की जनता को। ये मैं कहना चाहता हूं।

अब मैं एक और विषय पर बात रखना चाहता हूं। बिहार के लिए, हम सबके लिए नाज का विषय था कि सुशांत सिंह राजपूत एक टैलेंटेड युवा, बहुत कम वक्त में उन्होंने बॉलीवुड में अपना बहुत बड़ा नाम कर लिया था। अचानक उनका चले जाना, हम सबके लिए दुख की बात है। हमारी पूरी संवेदना सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के साथ है। हमने ये बार-बार मांग की थी कि इसमें सही जांच होनी चाहिए, परिवार को न्याय मिलना चाहिए और अगर कोई भी दोषी इसमें पाया जाता है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

बिहार में एक एफआईआर दर्ज हुई, उस एफआईआऱ के सिलसिले में क्योंकि बिहार की पुलिस को तो बहुत फटकार सुप्रीम कोर्ट बार -बार लगा चुकी है, मुजफ्फरपुर केस से लेकर, मेरे विधायक गया डिस्ट्रिक्ट के अवधेश सिंह ने विधानसभा में ये प्रस्ताव रखा कि बिहार में एफआईआर दर्ज हुई है, उसकी जांच सीबीआई करे और सर्वसम्मत से वो प्रस्ताव पारित हुआ था। मैंने खुद महाराष्ट्र में बात की थी कि इसमें सही जांच हो और न्याय मिले। बहुत बयानबाजियां होती थी कि महाराष्ट्र सरकार गलत कर रही है, महाराष्ट्र सरकार गलत कर रही है। पुलिस लॉ एंड ऑर्डर के लिए होती है, जांच करने के लिए होती है, दल आते हैं, दल की सरकारें जाती हैं, पुलिस इंडिपेंडेंड काम करती है, फिर भी वो मुंबई की पुलिस जिसने एक जिंदा आतंकवादी को पकड़ा था, शहीद हो गए कुछ जवान फिर भी, जिसका नाम पूरी दुनिया में एक अच्छी पुलिस में मानी जाती थी, उसके ऊपर भाजपा के लोग कांग्रेस की सरकार को या बिहार की राजनीति के लिए या शिवसेना बरसों तक तो बहुत अच्छी थी, आज शिवसेना को गाली देने के लिए पुलिस को हमें गाली दे रहे थे। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने 35 पन्नों की जजमेंट में पैराग्राफ 10 में कहा है कि हमने केस डायरी हमारे पास सब्मिट हुई थी, मतलब पूरा इनवेस्टिगेशन स्कैन किया सुप्रीम कोर्ट ने और सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि Mumbai Police was doing nothing wrong, मुंबई की पुलिस कुछ भी गलत नहीं कर रही थी। मैं मांग करता हूं कि भाजपा के वो बयानबाज नेताओं से कि माफी मांगे मुंबई की पुलिस से, किसी भी पुलिसफोर्स को बिना सबूत के डिमोरेलाइज करने का किसी को भी अधिकार नहीं।

इस केस की जांच अब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी है। मेरी तो मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट की निगहबानी में जांच हो, वो बिहार सरकार करवाए, क्योंकि आज के जो हमारे प्रधानमंत्री हैं मोदी जी, वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे और तब उन्होंने कहा था कि सीबीआई दूध की धुली हुई नहीं होती है, सीबीआई तो सरकार का तोता होती है, जो सरकार कहती है, वो बोलती है, सीबीआई दूध की धुली नहीं है, सीबीआई अच्छी नहीं है, ये बार-बार मोदी जी कह चुके हैं। इसलिए मैं चाहता था कि इस केस मे सुप्रीम कोर्ट मॉनिटर्ड जांच अगर होता तो और अच्छा होता। पर बिहार जेडीयू और भाजपा की मिली-जुली सरकार अपनी बात रखने में या तो नाकामयाब रही या चाहती नहीं थी कि सुप्रीम कोर्ट मॉनिटर्ड जांच हो। फिर भी मैं मांग करता हूं कि सीबीआई अपना फर्ज, अपना धर्म निभाए और इस केस में सही जांच जल्द से जल्द हो, राजनीतिक फायदे के लिए जो भाजपा और जेडीयू जो बिहार के चुनाव को देख बयानबाजी करती है, उससे केस में न्याय नहीं होगा। केस में सही जांच हो, यही मेरी उम्मीद है, मांग है और यही मैं चाहता हूं।

नागालैंड समझौता से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री गोहिल ने कहा कि मोदी जी ने पहले कह दिया कि पीस एकॉर्ड है, फिर ये आया कि वो फ्रेम वर्क एग्रीमेंट है, पीस एकॉर्ड में। प्रधानमंत्री जी को इन बातों का, अब आप इतना वक्त गुजर गया है, आपने फ्रेम वर्ग एग्रीमेंट के बाद न तो आपको जो स्टेक होल्डर्स स्टेट थे, उनके साथ आप शेयर करते न खुद बोलकर आप बताते हो न पार्लियामेंट को आप बताते हो, न कैबिनेट में भी गए आप, कैबिनेट में भी नहीं ले गए। तो इससे बहुत सारे सवाल खड़े होते हैं। हमारी बात यही है पहले तो इसकी स्पष्टता स्वयं प्रधानमंत्री जी करें, कि इसमें सच्चाई क्या है। दूसरा आपने सही कहा है कि अगर इस देश में हम अलग संविधान, अलग फ्लैग, अलग पासपोर्ट, इन बातों को मानेंगे, तो फिर देश की सोवैर्निटी और इंटीग्रीटी की बात कहाँ रहेगी, फिर आप उसका लफ्ज़ कोई भी कर दो और जिनके साथ आप समझौता करते हो, उनका खुद का प्रेस में एक इंटरव्यू आता है और ये जो मैं तीनों बातें कह रहा हूँ, वो ये तीनों बाते कहतें हैं कि ये मांग है हमारी। एक बात है कि अगर आप उस जो भी फ्रेम वर्क एग्रीमेंट करते हो उसमें आप असम की जमीन, आप मिजोरम की जमीन, मणिपुर की जमीन या फिर आप दूसरे नॉर्थ- ईस्ट की कहीं से भी जमीन लेकर आप एक अलग से स्ट्रक्चर स्टेट का तोड़ रहे हो तो स्टेक होल्डर जहाँ पर इलेक्टेड गवर्मेंट है, उससे बात आपकी होनी चाहिए थी, उनकी राय लेनी चाहिए। अब नागालैंड की चुनी हुई सरकार से भी आप बात नहीं करते हो, वो भी कहते हैं मुझे तो पता नहीं, ये तो यूनियन मिनिस्ट्री कर रही है तो ये सारे सवाल बहुत संगीन सवाल खड़े होते हैं और इसीलिए हम मांग करते हैं, हम चाहते हैं कि इस देश में नागा भी हमारे भाई हैं, वहाँ पर पीस बने, उसकी भी प्रोस्पेरिटी हो, वो मुख्यधारा के साथ जुड़े वो कांग्रेस हर वर्क चाहती है, पर सोवैर्निटी और इंटीग्रीटी के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता है। आप अपने अहंकार कि मैंने कर दिया, ये वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए, मत प्राप्ति के लिए संविधान के खिलवाड़ नहीं होने दीजिए।

एक अन्य प्रश्न पर कि जिन तथ्यों को आपने बहुत ही तार्किक रुप में रखा औऱ जिसमें बहुत सारे सत्य भी सामने आए तो क्या इस आधार पर माना जा सकता है कि चीन को एक और बड़ा मौका भारत की तरफ से दे दिया गया है, ताकी वो एक बार फिर हिंदुस्तान की सीमाओं के अंदर अतिक्रमण कर सके, श्री गोहिल ने कहा कि हमने कभी विदेश नीति पर राजनीति नहीं की है। हम देश की जो भी सरकार रही है, उनके साथ हम खड़े रहे हैं। आज सबसे बड़ा चिंता का विषय यही है कि एक्सटर्नल अफेयर्स पॉलिसी में, विदेश नीति में ये सरकार पूरी तरह विफल रही है। वर्षों से जो वफादार हमारे साथ हर वक्त खड़े रहते थे, ऐसे हमारे पड़ोसी हैं, वो आज हमारे साथ नहीं दिख रहे हैं। चीन हमारे वहाँ घुसता है, मेंरे बिहार रेजिमेंट के 20 जवान शहीद हो जाते हैं और मेरे प्रधानमंत्री बयान देते हैं कि चीन तो हमारी भूमि में आया नही है और चीन का मुखिया वही हमारे प्रधानमंत्री जी का बयान लेकर दुनिया में अपनी क्लीन चिट ले लेता है कि देखो भारत का प्रधानमंत्री कहता है, तो मेरे बिहार रेजीमेंट के जवान कैसे शहीद हुए और मेरे जवान की शहीदी की और चीन के ऐप बंद कर दी और आप खुश हो जाओगे एक ऐप बंद कर दी तो मेरे जवान की शहीदी का बदला ले लिया, आप तो एक के सामने 10 सिर कहते थे, 200 को मारो, अब तो राफेल भी आ गया है उसका इंतजार करते तो।

असल बात ये है कि विदेश नीति में फेल रहे, कभी नहीं करना चाहिए वो कर लिया आपने, अहमदाबाद में झूला झुला लिया, बिना बुलाए पाकिस्तान चले गए, हमारे देश के प्रधानमंत्री के शपथ समारोह में कभी पाकिस्तान के मुखिया को कोई नहीं बुलाता था, उसको आपने बुला लिया और दूसरी ओर आप टोटल फेल हो और ऐसी तरह अगर नॉर्थ-ईस्ट स्टेट हमारे बड़े संवेदनशील राज्य हैं, उनमें अगर इसी तरह का आप खिलवाड़ करोगे, आप न असम, न अरुणाचल, न मणिपुर, न मिजोरम, उनको विश्वास में लिए बिना आप ऐसा एग्रीमेंट कर लेते हो, जिनसे उन राज्यों में भी माहौल खराब होगा, तो मैं मानता हूँ कि हमारे लिए बहुत बड़ा चिंता का विषय है और चीन जैसे दुश्मन देश इन्हीं चीजों पर निगाह रखकर बैठा होता है, उनको मौका हम दे रहे हैं।

एक अन्य प्रश्न पर के उत्तर में श्री गोहिल ने कहा कि मैं पहले से कह रहा था कि राजनीतिक बयानबाजियों से कुछ नहीं होता है। हमें सही बात सुप्रीम कोर्ट के सामने रखनी होगी। मैंने ये भी कहा था कि इस देश के प्रधानमंत्री कहते हैं, जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे कि सीबीआई दूध की धुली नहीं है, सीबीआई तो तोता है, तो देश के आज वो प्रधानमंत्री बन गए हैं, तो उन्होंने जो कहा था, वो आज देश के प्रधानमंत्री हैं, उन्होंने सच कहा है, ये मानें ? भाजपा और जेडीयू और सुप्रीम कोर्ट को कहे कि सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड इंवेस्टीगेशन हो, तो वो बात वो नहीं कर पाए है। अब जो बयानबाजियाँ होती थी, वो आपकी बात सही है चुनाव को नज़र में रखते हुए हो रही थीं। वो कह रहे थे कि मुम्बई पुलिस गलत कर रही है। मुम्बई पुलिस वहाँ की सरकार के कहने पर गलत रास्ते जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इंवेस्टीगेशन डायरी मांगी थी और इंवेस्टीगेशन डायरी माने पूरा स्कैन हो जाता है इंवेस्टीगेशन में। वो देखने के बात सुप्रीम कोर्ट ने अपने 35 पन्नों के जजमेंट के पैराग्राफ 10 में कहा था कि मुम्बई की पुलिस जो कर रही थी, वो सही कर रही थी और कहीं पर भी एक-एक लफ्ज़ भी मुम्बई पुलिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का नहीं आया है, यही दिखाता है कि जो मुम्बई पुलिस और मुम्बई की सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते थो, वो सिर्फ चुनावी बयानबाजी थी औऱ उन लोगों को मुम्बई पुलिस से माफी मांगनी चाहिए।

एक अन्य प्रश्न पर कि आज चिराग पासवान ने कहा है कि मैं राज्य हित में सवाल उठाता रहूँगा अगर कोई शिकायत माने तो मानता रहे। साथसाथ उन्होंने कोरोना को लेकर बिहार सरकार की तैयारियों पर भी सवाल उठाए हैं, श्री गोहिल ने कहा कि ये बात सही है कि बिहार में सरकार कोरोना को हैंडिल करने के मामले में और बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में सहायता देने में पूरी तरह से फेल हुई है। अगर सही काम सही तरीके से होता तो बिहार की जनता इतनी परेशान नहीं होती। वहाँ भाजपा और जेडीयू की मिलीजुली सरकार है, वो सिर्फ चुनावी रणनीति में व्यस्त हैं, लोगों की सेवा में वो नहीं है। वहाँ पर बहुत सारी लड़ाइयाँ चल रही हैं, हर दिन कुछ न कुछ नया आता रहता है और बीजेपी एनडीए का मेन अथॉरिटी और डिक्टेटर इन एनडीए, तो बीजेपी अपना खेल करवा रहा है, वो सर्वे भी उन्होंने करवाया था कि अगर अकेले लड़ने से क्या भाजपा की सरकार बन सकती है और वो सर्वे आ गया कि न आप अकेले से कुछ नहीं होगा तो मजबूरी में उनके साथ हैं, पर फिर भी उनकी कोशिश है। साथी की जब जरुरत होती है, भाजपा उनके पांव पड़ती है और साथी की जरुरत खत्म होने पर उनके पांव नहीं गला काटती है, वो चाहे जम्मू-कश्मीर में पीडीपी हो या महाराष्ट्र में शिवसेना हो, ये उनका इतिहास रहा है तो बिहार में भी बीजेपी अभी आगे क्या खेल करेगी वो तो वक्त ही बताएगा।

श्रीमती प्रियंका गाँधी द्वारा एक वर्ष पूर्व दिए गए साक्षात्कार से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री गोहिल ने कहा कि ये उस समय का मत था, एक साल पूर्व 1 जुलाई, 2019 को। वह श्री राहुल गाँधी खुद का ओपिनियन ज़रुर था, उसी वक्त पर था और वर्किंग कमेटी ने ये तय किया कि आपको ही अध्यक्ष का पद संभालना है।

आज देश का हर कार्यकर्ता, देश का हर नौजवान ये चाहता है कि एक पढ़े-लिखे, साफ-पाक इंसान, जो दिल से मानते हैं वही बोलते हैं और कोई फ़र्जीबाजी जिसमें नहीं है। कोरोना के वक्त में उन्होंने जिस तरह से बातें की थी, वो आज साबित हो रही हैं। जो सरहदों के बारे में, विदेश नीति के बारे में उन्होंने जो कुछ कहा, उसको भले उस वक्त पर मजाक उड़ाया पर इतिहास बता रहा है कि जो उन्होंने कहा था वो सच निकला है, तो इस देश का हर युवा भी चाहता है, हर देशवासी चाहता है कि राहुल गांधी जी को ही नेतृत्व मिलना चाहिए औऱ ये फैसला लेने का अधिकाऱ वर्किंग कमेटी और एआईसीसी को है और वो जो अपने विजडम में उनको जो ठीक लगता है वो करेंगे और उसी हिसाब से चलेंगे।

On a question about Sushant Singh Rajput case,Shri Gohil said- when the case was pending before the Supreme Court, उसी वक्त पर जब बयानबाजियाँ आती थी, तब मैंने कहा था कि बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना केस ठीक से रखे और सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड इंवेस्टीगेशन मांगे, क्योंकि मोदी जी का खुद का ये मानना था जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे कि सीबीआई दूध की धुली नहीं होती है, सीबीई तो जो भी सरकार आती है, उसका तोता होती है। तो मैं चाहता हूँ कि इस केस में ठीक से न्याय हो तो बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड इंवेस्टीगेशन मांगे और बयानबाजी करते हैं कि महाराष्ट्र सरकार गलत कर रही है तो सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या गलत हो रहा है वो ठीक से रखे ताकि अगर वहाँ गलत भी हो रहा है, सरकार किसी की भी, अगर कहीं पर भी इंवेस्टीगेशन में इस केस में गलत होता है तो आप रखिए, सुप्रीम कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट उनको फटकार लगाएगी, उसका भी हम स्वागत करेंगे, पर सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि Maharashtra Police is doing nothing wrong. तो पैराग्राफ 10 आप देख लीजिएगा उसमें कहा, तो और मैं जो चाहता था, वो इसलिए चाहता था सुप्रीम कोर्ट मॉनीटर्ड हो तो इसमें न्याय ठीक से हो जो मोदी जी कहते हैं कि सीबीआई दूध की धुली नहीं है तो फिर सुप्रीम कोर्ट के जरिए हो, ये मेरी मांग थी पर सम्भवतः बिहार सरकार अपना केस रखने में कहीं न कहीं वहाँ चूक कर गई और ये नहीं हुआ।

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