Press Note Hindi Dt: 27.03.2017 LED Scam
शक्तिसिंहजी गोहिल का कार्यालय,
राष्ट्रीय प्रवक्ता, ऐ.आई.सी.सी., और विधायक, अबडासा
प्रेस विज्ञप्ति २७ मार्च, २०१७
Highlights of the press briefing of Shri Shaktisinh Gohil and Prof. Rajeev Gowda, MP
Video Link :- https://youtu.be/UNt1L1RK5C0
Prof. Gowda said he is happy to present to the Media our Leader from Gujarat and AICC Spokesperson Shri Shaktisinh Gohil who will address the Media on behalf of the Congress party.
श्री शक्ति सिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि NDA सरकार के नाम पर जिस तरह से लाईट आती है और जाती है पलक झपकते ही कैसे वहाँ पर करप्शन हो जाता है, उस पर मैं प्रकाश डालने वाला हूँ। यूपीए सरकार ने 4 PSUs को मिलाकर – एनर्जी ऐफिशियेंसी सर्विसिज लिमिटड कर के एक कंपनी बनाई, जिसका काम था देश में एनर्जी, ऐफिशियेंसी सर्विसिज के बारे में जागृति लाना, टेक्निकल सपोर्ट देना, individual को और लोकल बॉडिज को भी। टेक्निकल ज्ञान भी देना और उसके साथ काम देने की सुविधा देना। ये इस कंपनी का काम था। NDA सरकार आने के बाद इस कंपनी को भ्रष्टाचार का प्लेटफॉर्म बना दिया।
यह कंपनी एक डायोड – एक बल्ब या एक चीज LED की एक EESL चीज नहीं बनाती। लेकिन फिर भी पूरे देश में ये LED वाली सारी चीजें यही कंपनी उपलब्ध कराती है। अब सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जो कंपनी कोई कलपूर्जा नहीं बनाती है वो कंपनी माल तो बाहर से ही लेगी, कोई भी PSU हो, सरकार का विभाग हो या PSUs सरकार से संबंधित कोई भी कंपनी हो, विजिलेंस कमीशन की गाईडलाईन है -सुप्रीम कोर्ट का भी एक जजमेंट है और उसी के तहत भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ फाईनेंस ने एक सर्क्यूलर निकाला और उसके जरीए सभी को बताया कि अगर आप कोई भी चीज खरीद रहे हैं तो उसमें पारदर्शिता होनी चाहिए, काम्पिटेटिव बिड की व्यवस्था होनी चाहिए, L1 को ही काम मिलना चाहिए इत्यादि। E प्रक्योरमेंट के लिए तरह-तरह की बातें चलती थी, मिनिस्ट्री ऑफ फाईनेंस ने यूपीए के दौरान ही और विजिलेंस कमीशन ने भी बहुत स्ट्रीक्ट गाईडलाईन दी कि आपको E प्रक्योरमेंट के लिए जो वेबसाईट बनी है वहीं से सरकार के बने हुए प्लेटफॉर्म पर ही टेंडर इनवाईट करना है, आप कहीं और ये नहीं कर सकते।
EESL का की पहली समस्या ये है कि जो टेंडर इनवाईट करते हैं वो मिनिस्ट्री ऑफ फाईनेंस और विजिलेंस कमीशन दोनों की गाईडलाईन के खिलाफ जाकर अपनी प्राईवेट कंपनी की वेबसाईट पर ये टेंडर इनवाईट होता है, नतिजन उसको जितना चाहें आप मैन्यूप्लेट कर लें। आप XYZ को सेल्केट कर सकते हैं। इसको रोकने के लिए ही विजिलेंस कमीशन और मिनिस्ट्री ऑफ फाईनेंस ने ये कानून बनाया है इसके बावजूद EESL ने उससे उलट काम का।
यहाँ पर ‘मेक इन इंडिया’ की भी बात आती है उसका भी मंत्रालय ने पूरी तरह से मजाक बना दिया। EESL सीधा ‘मेड़ इन चाईना’, ‘मेड इन ताईवान’ सामान वहीँ खरीदती है। आश्चर्यजनक बात ये है कि LED सामान के सत्यापन के लिए LM80 का प्रयोग होता है जो यह बताता है कि खरीदा गया सामान भरोसे का है और साथ ही सरकार के नियत पैमाने पर खरा है। इस कंपनी ने सारी खरीददारी LM80 के बगैर LED की सारी चीजें, चाहे वो स्ट्रीट लाईट हों, उजाला के बल्ब हों, पम्प हो ये सारी चीजें बिना सर्टिफिकेशन के ले रहे हैं। ये सारी- ‘मेड़ इन चाईना’ या ‘मेड इन ताईवान’ से हैं। तो ‘मेक इन इंडिया’ जैसे फ्लैग शिप प्रोग्रेम का क्या फायदा?
दूसरी चीज LED स्ट्रीट लाईट, अर्बन लोकल बॉडीज में इस्तेमाल के लिए, पहले की यूपीए सरकार भी कहती थी, कि कॉम्पिटेटिव बिड मार्किट से जो L1 आएगा उसी को मौका देंगे। लोकल बॉडी को इस मद में कोई भी पैसा नहीं देना पड़ेगा बशर्ते सारी प्रक्रिया की 3rd पार्टी ऑडिट होगी, जांच होगी और बाद में ही भुगतान हो पाएगा। लेकिन अब लोकल बॉडी में EESL, LED स्ट्रीट लाईट लगा देगी, इसका 3rd पार्टी ऑडिट नहीं होगा। EESL ने उपकरण लगा दिया और यह मान लिया गया कि 50 प्रतिशत अनुमानित (Deemed) बचत हो गया क्योंकि ये NDA की सरकार लगा रही है। 1 लाख का बिल आ रहा है तो इसको मान लिया जाएगा कि 50 प्रतिशत Deemed सेविंग से मेरा बिल घटकर 50 हजार हो जाएगा। 50 हजार का जो सेंविग होगा उसका 60 प्रतिशत मान लो 30 प्रतिशत EESL कंपनी ले जाएगी और 40 प्रतिशत ULB (अर्बन लोकल बॉडी) का सेविंग मान लिया जाता है। ‘मैं ही चोर, मैं ही कोतवाल’।
प्रश्न ये उठता है कि 3rd पार्टी ऑडिट से किसी को क्या आपत्ति है? क्यों यह EESL कंपनी ही तय करेगी कि कौन ऑडिट करेगा? इसका अधिकार भी EESL को दे दिया ताकि कोई दिक्कत ही ना रहे। मैंने कुछ म्यूनिसिपेलिटी के कुछ बिल जानकारी के लिए जांच किए , जहाँ पर EESL की LED लगी हैं। RTI डाली, वहाँ म्यूनिसिपेलिटी से डाटा निकाला है और विशलेषण किया। मैंने एक म्यूनिसिपेलिटी चुनी जहाँ पर लगभग 48 बिल आते थे। LED लगी वहाँ पर सितम्बर 2016 में, उससे पहले जो बिल आता था वो था रुपए 5,03,516 अगस्त में। अब स्ट्रीट लाईट होगी तो 50 प्रतिशत सेविंग होनी चाहिए। मैंने सितम्बर का बिल निकाला तो वो 50 प्रतिशत कम तो नहीं हुआ वो बढ़कर रुपए 5,97,865 हो गया। फिर अक्टूबर का निकाला 5,36,000, नवंबर का निकाला 5,24,000, दिसंबर का 5,47,000 और जनवरी में 6,04,000 हो गया। LED के बाद बिल बढ़ गया। ये कहानी नवसारी म्यूनिसिपेलिटी की है।
अगर सही अर्थ में LED होगी तो पॉवर कम खर्च होगा और अगर आपने क्वालिटी नहीं देखी तो बिल बढ़ेगा और इतना ही नहीं आपने देखा होगा माडर्न मेडिकल साईंस कहता है कि LED अगर ठीक लाईट वाली नहीं है तो फायदा नहीं उलटा आँखों को गंभीर नुकसान देता है। मोदी जी प्रचार तो कर रहे हैं पर ऐसा ना हो कि लोगों को अंजाने में लेने का देना पड़ जाए।
हमारा सीधा सवाल है कि ऊर्जा मंत्री पियूष गोयल जी के अंतर्गत यह विभाग है, उनका ट्विटर तो पॉवर सेक्टर के लिए कपाल भाती की तरह ट्वीट करता रहता है, मैं चाहता हूं कि इस पर भी ट्वीट करें और बताएँ कि मिनिस्ट्री ऑफ फाईनेंस और विजिलेंस कमीशन की गाईडलाईन को क्यों फोलो नहीं किया गया EESL द्वारा? आपने LED में सर्टिफिकेशन की अनदेखी क्यों की है? आपने ‘मेक इन इंडिया’ की बजाए चाईना के लोग क्यों पसंद आए, क्यों इंडिया के लोगों को काम नहीं दिया जा रहा है? क्यों 3rd पार्टी जांच की अनुमती नहीं है? कि मेरी ULB पैसे दे रही है, तो Deemed क्यों मान लिया जाए, हम ऑडिट करेंगे, ऑडिट में अगर बिजली की खपत कम पाई जाती है तो आपको 50 प्रतिशत में से 60 प्रतिशत जरुर दिया जाएगा। बिना 3rd पार्टी के ऑडिट के आप खुद ही तय कर लें- मैं ही चोर, मैं ही कोतवाल, ये कैसे तय करेंगे? अगर पियूष गोयल जी के आशिर्वाद से ये नहीं चल रहा है तो इसकी इंडिपेंडिट जांच कब करावाएंगे? हमारी मांग है कि सुप्रीट कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच की जाए, ये 20 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार हो सकता है, जिस तरह से हमारा आकलन है। क्योंकि बात क्वालिटी की है, जहाँ बल्ब 60 रुपए का मिलता है, वही चाईना का 5 रुपए में मिल सकता है। वो चाईनिज माल यहाँ पर आ रहा है, जो आँखो को नुकसान कर सकता है। तो इसके बारे में जांच हो ये हमारी मांग है।
एक प्रश्न पर कि आपने इस मुद्दे को विधानसभा में क्यों नहीं उठाया, श्री गोहिल ने कहा कि मुझे दुख है कि विधानसभा में मैं खुद बोला था और मैंने नवसारि म्यूनिसिपेलिटी के आंकड़े रखे। सदस्यों के बोलने के बाद मंत्री जो को जवाब देना होता है। मेरे इस प्रश्न का कोई जवाब मंत्री जी नहीं दे पाए और इसलिए विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने के बाद अब मीडिया के माध्यम से जनता के सामने रख रहा हूं। आपके सामने रखने से पहले मैं जानना चाहता था कि ESSL LED लगाती है वहाँ क्या होता है? RTI होती है, उसका विशलेषण करके मैं विधानसभा में बोला। अगर मैं गलत होता तो मेरे खिलाफ प्रिविलेज मोशन लाया जा सकता था, जो नहीं आया है। हम जनता की कोर्ट में जाते हैं – यह मुद्दा सिर्फ किसी राज्य से जुड़ा नहीं है क्योंकि LED को बिजली की खपत रोकने के लिए पूरे देश में इस्तेमाल किया जा रहा है इसलिए हम आज इसे आपके बीच में लेकर आए हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि शिवसेना सांसद के एयरलाईंस स्टाफ से दुर्व्यवहार करने पर क्या कहेंगे, श्री गोहिल ने कहा कि हमने पहले ही अपना स्टेंड साफ कर दिया था और कहा था कि नेता जनता का रोल मॉडल भी होता है और इस तरह का व्यवहार सही नहीं है। हम चाहते हैं कि वो खुद भी आत्मनिरिक्षण करें और गलती हुई है तो उनको इसे सही करना चाहिए।
संगठन चुनाव के विषय पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री गोहिल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हर वक्त, जब-जब चुनाव आयोग की जो भी गाईडलाईन है उसको समयबद्ध तरीके से पूरा करने का प्रयास किया है। पार्टी धन्यवाद करती है चुनाव आयोग का कि हमें अपनी चुनावी प्रक्रिया पूरा करने का समय उन्होंने दिया है। हमें पूरा विश्वास है कि हम इस तय समय में अपनी आंतरिक चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने में सक्षम होंगे।
एक अन्य प्रश्न पर कि गुजरात में कांग्रेस का सीएम चेहरा कौन होगा, श्री गोहिल ने कहा कि जब पंचायत के चुनाव हुए, तब भी बीजेपी का चेहरा नरेन्द्र मोदी जी थे, क्योंकि मामला गुजरात का था। लोकल बॉडी चुनाव में पोस्टर नरेन्द्र मोदी जी के लगे थे, आनंदी बेन के छोटी तस्वीर लगी थी। 31 जिला पंचायत के चुनाव में, एक ही जिला पंचायत हमारे पास थी। बीजेपी के पास 30 जिला पंचायत थी, जो 6 में सिमट गई और हम 23 में सीधे बहुमत के साथ जीते और 2 हमने इंडिपेंडेड और दूसरे के साथ से बनाई। तो 25 जिला पंचायत चुनाव हम जीत कर आए। तब नरेन्द्र मोदी जी के चेहरे से बीजेपी लड़ी। हम हाथ के पंजे के चिन्ह के साथ लडेंगे और जीतेंगे। गुजरात में चाहे जब भी चुनाव हों, कांग्रेस जरुर जीतेगी और जनता का साथ हमें मिलेगा।
On the question whether PIL will be filed in this regard, Prof. Gowda said this will be raised as an issue of National importance that needs to be brought to the attention of the House during zero hour. We will do so because this is an issue concerning the Central Government and its action and the scale of the potential fraud is enormous and therefore, it is incumbent upon us to raise this issue in Parliament and that is what we will do.
To another question as to whether the ‘Aadhar’ will be linked to the EVMs, Prof. Gowda said that the way this Government is going; they will make ‘Aadhar’ mandatory for everything. Before you brush your teeth, you have to press some biometric etc…. Seriously, I do not want to make light of this issue. The basic point is that the Government is going across the board, they are making it mandatory. It is indirectly flouting the observations of the Hon’ble Supreme Court and right now in the Rajya Sabha, there is a discussion on the Finance Bill going on where these issues are being raised. Shri Kapil Sibal raised that in his speech in the afternoon and we are very concerned because if you make it mandatory across the board, then the Hon’ble Supreme Court’s observations becomes meaningless and that is not the last time. When I did a Press Conference on Thursday, I pointed out as to how this Government is undermining Constitutional Institutions like the Hon’ble Supreme Court and this is an example of what we are concerned about it is if the Government wants to expand the use of ‘Aadhar’, which may be appropriate in certain circumstances, please persuade the Hon’ble Supreme Court that is what you want to do and give the justification for doing so and if the justifications are valid and rational, the Hon’ble Supreme Court will also agree but going in this brazen manner is what the problem is and the Government does not seem to care.
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