Press Note Hindi Dt: 28.07.2018 मोदी राज में रक्षक बने भक्षक
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शक्तिसिंहजी गोहिल का कार्यालय,
राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं बिहार प्रभारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
प्रेस विज्ञप्ति 28 जुलाई, 2018
श्री शक्तिसिंह गोहिल, मीडिया प्रभारी, बिहार; रंजीत रंजनजी, सांसद; प्रियंका चतुर्वेदीजी, प्रवक्ता, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी एवं शर्मिष्ठा मुखर्जी, प्रेसिडेंट, डीपीएमसी द्वारा जारी बयान :-
मोदी राज में रक्षक बने भक्षक !
नारी पर बढ़ता गया अत्याचार, गहन निद्रा ताने सोती रही भाजपाई समर्थित नितिश सरकार
श्री नरेंद्र मोदी वादा तो करते हैं, ‘ न खाऊंगा, ना खाने दूंगा’, लेकिन अपने क्रोनी कैपिटलिस्ट मित्रों को बैंक घोटालों और राफेल सौदे के माध्यम से देश की जनता की गाढ़े पसीने की कमाई को लूटने में मदद करते हैं। एक तरफ मोदी सरकार बात करती है, ‘सबका साथ, सबका विकास’ की, तो दूसरी तरफ गरीबों और कमजोरों पर अत्याचार को बढ़ावा देती है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाने वाली मोदी सरकार में बेटियों को सचमुच दरिंदों से बचाकर रखने की नौबत आ गई है, क्योंकि भाजपा सरकार के कार्यकाल में महिलाओं की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी विफलता बन गई है। देश उन्नाव, कठुआ और मंदसौर की हृदयविदारक घटनाओं से उबर भी नहीं पाया है कि एनडीए शासित बिहार में रक्षक के भक्षक बनने की एक और शर्मनाक घटना सामने आई है।
भाजपा-जेडीयू शासित बिहार में पूरी तरह से अराजकता छा गई है और यहां घटित हुई भयावह घटनाओं ने लोगों को हिलाकर रख दिया है। एक तरफ राज्य सरकार एवं मुखयमंत्री साईकल,मदिरा- निषेध एवं आरक्षण द्वारा महिलाओं और बच्चियों को सशकत बनाने का आडंबर करते हैं, तो दूसरी तरफ आश्रय घरों में रहने वाली लड़कियों का राज्य के द्वारा ही यौन शोषण किया जा रहा है। इन घटनाओं से भाजपा और इसके नेतृत्व की महिला-विरोधी मानसिकता साफ हो जाती है।
”सरकारी पूंजी प्राप्त महिला बाल गृह में चौंकाने वाली एक घटना में सरकारी पूंजी प्राप्त, एनजीओ संचालित आवास गृह ने 42 लड़कियों की मेडिकल जाँच में पाया कि उनमें से कम से कम 29 लड़कियों का बलात्कार किया गया था ( 13 मेडिकल रिपोर्टों के अभी भी सार्वजनिक होने का इंतजार है ) और कम से कम 3 लड़कियों का गर्भपात कराया गया एवं 3 अन्य लड़कियां गर्भवती हैं। इन सभी लड़कियों की उम्र 7 वर्ष से 14 वर्ष के बीच है। स्पेशल पोस्को कोर्ट के समक्ष अपने बयान में लड़कियों ने बताया कि उन पर अत्याचार किया जाता था, उन्हें भूखा रखा जाता था, ड्रग्स दिए जाते थे और लगभग हर रात उनका बलात्कार किया जाता था।
जाँच के विवरण साबित करते हैं कि अधिकांश शोषणकर्ताओं की पहचान लड़कियों द्वारा आसानी सेकी जा सकती है। 10 से 11 साल की छोटी-छोटी बच्चियों ने अत्याचार, यातना, ब्लैकमेल एवं शोषण की जो कहानी सुनाई वह बहुत ही भयावह और दर्दनाक है।
ज्यादातर लड़कियों ने प्रमुख आरोपी, ब्रजेश ठाकुर पर बलात्कार का आरोप लगाया। एक लड़की ने तो उसके फोटोग्राफ पर थूक तक डाला। एक 10 वर्षीय बालिका ने कहा, ”यदि कोई उसका कहना नहीं मानता, तो वह हमें छड़ी से पीटता था।” एक अन्य 14 वर्षीय बालिका ने कहा, ”वह (ब्रजेश) जब भी कमरे में आता था, तो लड़कियां डर से कांपने लगती थीं। उसे सब ‘हंटरवाला अंकल’ कहते थे।” एक सात वर्ष की बच्ची, जिसके हाथ और पैर बांधकर उसका बलात्कार किया गया था, ने कोर्ट को बताया, ”जब मैंने रोकने की कोशिश की, तो मुझे पीटा गया और तीन दिन तक भूखा रखा गया। मैंने ब्रजेश सर से हार मानकर उनसे माफी मांग ली।”
एक सात वर्षीय गूंगी लड़की को दो दिन तक भूखा रखा गया। अंत में उसने भी हार मान ली। एक 10 वर्षीय बच्ची ने बताया कि उसके गुप्तांगों पर चोट के निशान थे। उसने बताया, ”मैं ऑफिस के कर्मचारियों और कुछ बाहरी लोगों द्वारा बार बार बलात्कार एवं यातनाओं के बाद कई दिनों तक चल नहीं पाई।”
एक अन्य लड़की ने बताया, ”लड़कियों को अक्सर रात में बाहर ले जाया जाता था और वो अगले दिन वापस आती थीं। मुझे नहीं पता उन्हें कहां ले जाया जाता था।” एक 11 वर्ष की बच्ची ने यातना देने वाले को ”तोंद वाला अंकल जी”, तो एक अन्य लड़की ने आतताई को ”मूँछवाला अंकल जी” नाम से संबोधित किया। एक अन्य लड़की ने बताया, ”जब तोंद वाला अंकल जी या नेता जी आसपास होते, तो किसी को भी कमरे में प्रवेश नहीं करने दिया जाता।”
तथ्यात्मक सच्चाई :-
- बिहार के 38 जिलों में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साईंसेस (टीआईएसएस) द्वारा इस तरह के 110 संस्थानों में किए गए सोशल ऑडिट में यौन शोषण, हिंसा, मानसिक और महिलाओं एवं लड़कियों का शारीरिक उत्पीड़न तथा मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों के गंभीर शोषण के चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सोशल ऑडिट में सामने आया कि इन संस्थानों में ये लोग किसी न किसी रूप में ‘अत्याचार का शिकार‘हो रहे हैं (संलग्नक A-1 देखें)।
- टीआईएसएस की रिपोर्ट में 15 संस्थानों की स्थिति गंभीर बताई गई है, जिन पर तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, लेकिन नीतिश सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। कार्यवाही मुजफ्फरनगर में स्थित केवल एक आश्रय गृह पर की गई एवं अन्य 14 आश्रय गृहों में महिलाओं, बच्चों, लड़के एवं लड़कियों पर होने वाले अत्याचारों और यौन शोषण के गंभीर अपराधों पर आंखें मूंद ली गईं।
- लगभग सभी संस्थान, जुवेनाईल जस्टिस एक्ट का उल्लंघन करते हुए चल रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे 15 संस्थानों पर तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। (इनमें से प्रत्येक में होने वाले शोषण का विवरण संलग्नक A-2 में है।)
- राजनैतिक प्रतिक्रिया से घबराकर संवेदनाशून्य नीतिश कुमार सरकार ने आनन-फानन में पीड़ित लड़कियों को मुजफ्फरपुर से मोकामा, पटना और मधुबनी स्थानांतरित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई।
- इस मामले में गिरफ्तार प्रमुख आरोपी, ब्रजेश ठाकुर को भाजपा यूथ विंग, बीजेवाईएम के अध्यक्ष सुधांशु पाठक खुला समर्थन दे रहे हैं और आंदोलन की धमकी देकर उन्हें रिहा किए जाने की मांग कर रहे हैं। पीड़ितों के लिए न्याय की गुहार लगाने और आरोपी को दंडित किए जाने की मांग करने की बजाए, भाजपा इस गंभीर दुष्कर्म के आरोपी, आतताईयों का बचाव करने में व्यस्त है।
- ‘बाल संरक्षक अधिकारी‘ (रवि भूषण) के परिवार ने दस्तावेज और सीडी के साथ ये सनसनीखेज खुलासे किए हैं कि सामाजिक विकास मंत्री, मंजू वर्मा (जेडीयू) के पति; चंद्रशेखर वर्मा (जिन्हें लड़कियों अपने बयान में नेता जी कहकर संबोधित किया है), इस आश्रय गृह में नियमित तौर पर आया करते थे। इससे नीतिश कुमार सरकार में मंत्री एवं उनके पति की भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं (संलग्नक A3)।
कमजोर जाँच और मामले पर पर्दा डालने की लोशिश करने का आरोप लगाते हुए, परिवार ने यह भी दावा किया कि यदि मंत्री के पति, चंद्रशेखर वर्मा के पति का फोटो पीड़ित लड़कियों को दिखाया जाए, तो वो इन निंदनीय अपराधों के आरोपी को निशचित तौर पर पहचान लेंगी। इसलिए शक की सुई सीधे मंत्री के पति की ओर घूम जाती है।
प्रश्न :-
- मुखयमंत्री, श्री नीतिश कुमार को ‘सुशासन बाबू’ के नाम से मशहूर करके रखा गया है। क्या भाजपा-जेडीयू का गुड गवर्नेंस का मॉडल यही है?
- भाजपा नेता एक के बाद एक महिलाओं का शोषण करते जा रहे हैं और फिर अपने ही लोगों का बचाव करते आ रहे हैं। उन्नाव और कठुआ में हुए निंदनीय अपराध इस बात का प्रमाण हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री जी भी महिलाओं के विरुद्ध बयान देते हैं, लेकिन अपनी आस्तीन में झांककर कभी नहीं देखते। हम प्रधानमंत्री जी और इस अपराध में उनके साथी, श्री नीतिश कुमार से पूछना चाहते हैं- इस अपमानजनक घटना के बारे में वो कब बोलेंगे?
- बिहार में विपक्ष द्वारा अत्यधिक दबाव डाले जाने के बाद, श्री नीतिश कुमार की सरकार अंततः इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देने के लिए मजबूर हो गई। लेकिन उन्होंने टीआईएसएस रिपोर्ट में बताए गए, ‘गंभीर स्थिति में, तत्काल कार्यवाही की जरूरत वाले‘ अन्य 14 आश्रय गृहों एवं संस्थानों के मामले में एक भी एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की? इन सभी मामलों में सीबीआई जांच क्यों नहीं की जा रही?
- सोशल ऑडिट में सरकारी फंड प्राप्त संस्थानों में कुछ गंभीर कमियों और अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है। क्या एनडीए सरकार इन आश्रय गृहों में रहने की दयनीय स्थिति में सुधार करके यहां का सुरक्षा तंत्र मजबूत करेगी?
बिहार में भाजपा-जेडीयू के अवसरवादी गठबंधन को 1 साल पूरे हो गए हैं। इस एक साल में कुशासन एवं अराजकता छाई रही।
हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निरीक्षण में सीबीआई जांच की मांग करते हैं,ताकि आरोपियों को सजा दी जा सके।
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